इस वजह से बच्चों पर हावी नहीं हो पाता है कोरोना

इस वजह से बच्चों पर हावी नहीं हो पाता है कोरोना

सेहतराग टीम

कोरोना संकट के कारण अधिकतर देशों में स्कूल बंद हैं। हालांकि अध्ययनों के मुताबिक बड़ों की तुलना में बच्चों में संक्रमण की दर कम है। अब खुलासा हुआ है कि बच्चों में एस-2 नामक रिसेप्टर कम सक्रिय होने से उनका संक्रमण से बचाव होता है।

पढ़ें- बड़ों की तुलना में संक्रमित बच्चों के अंदर 100 गुना अधिक वायरस

बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की पीडियाट्रिक इन्फेक्शियस डिसीज विभाग की प्रो. एलिजाबेथ बार्नेट का कहना है कि दस साल से कम उम्र के बच्चों के संक्रमण की गिरफ्त में कम आने का सीधा संबंध एस-2 रिसेप्टर से है, जो वायरस का वाहक है। वायरस के स्पाइक प्रोटीन इसी एस-2 रिसेप्टर पर चिपककर शरीर के भीतर प्रवेश करता है और कोशिकाओं को संक्रमित कर अपना कुनबा बढ़ाता है।

बच्चों के श्वास नलिका में एस-2 अधिक वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बच्चों के श्वास नलिका के ऊपरी हिस्से में एस-2 रिसेप्टर अधिक होता है। वयस्कों में एस-2 रिसेप्टर फेफड़ों में अधिक होता है, जिस कारण वो श्वसन तंत्र पर हावी हो जाता है। चार साल से 60 वर्ष तक के 305 लोगों पर हुए अध्ययन में पता चला है कि दस साल से कम उम्र के बच्चों में एस-2 इंजाइम्स कम सक्रिय होते हैं। संभव है कि कोरोना इसी कारण बच्चों पर हावी नहीं हो पाता है।

बच्चों की कम लंबाई भी रोकती है प्रसार 

वैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों से दूसरों को संक्रमण का खतरा कम क्यों हैं? वैज्ञानिकों का तर्क है कि बच्चे बड़ों की तुलना में कम तेजी से खांसते या छींकते हैं, जिससे वायरस कम मात्रा में निकलता है। बच्चों की लंबाई कम होने से वायरस जल्दी जमीन पर गिर जाता है। इससे वायरस के फैलने की संभावना कम है। बच्चे थोड़ा भी अस्वस्थ होते हैं तो उनका घूमना फिरना बंद हो जाता है, पर बड़ों के साथ ऐसा नहीं है।

जन्मजात इम्यून सिस्टम बन रहा रक्षक...

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ सेंटर की नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. अलवारो मोरेरिया का कहना है कि इम्यून सिस्टम और मेमोरी सेल वायरस को रोकते हैं। बच्चों में मेमोरी सेल्स तब बनती है, जब जन्म के बाद वे संक्रमण की चपेट में आते हैं। जन्मजात मिला रोग प्रतिरोधक तंत्र बच्चों की रक्षा करता है। वयस्कों की तुलना में बच्चों में साइटोकाइन स्टॉर्म का अधिक सक्रिय न होना भी बच्चों के अधिक सुरक्षित होने का कारण है।

(साभार)

 

इसे भी पढ़ें-

बीसीजी के टीके से धीमा हो सकता है महामारी का सामुदायिक प्रसार

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।